मोबाइल बना रहा बच्चों को 'ऑटिस्टिक'? खतरनाक वर्चुअल ऑटिज़्म से ऐसे बचाएं अपने बच्चे, रामदेव बाबा की खास सलाह!

 
माता-पिता अपने बच्चे से मोबाइल लेते हुए, जो रो रहा है और टीवी पर कार्टून चल रहा है, वर्चुअल ऑटिज्म का खतरा दर्शाता हुआ दृश्य।

वर्चुअल ऑटिज़्म इन किड्स: बच्चों के दिमाग पर मोबाइल-टीवी का अटैक!

आजकल हर बच्चा मोबाइल या टीवी की स्क्रीन से चिपका नजर आता है। कार्टून, गेम्स, रील्स – यही उनकी नई दुनिया बन गई है। 

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही स्क्रीन्स बच्चों के दिमाग पर बड़ा खतरा बनती जा रही हैं? हेल्थ एक्सपर्ट्स अब चेतावनी दे रहे हैं कि बच्चों में वर्चुअल ऑटिज़्म तेजी से बढ़ रहा है, और ये कोई छोटी समस्या नहीं है!

इंसानी दिमाग – एक जादुई जहाज, लेकिन ध्यान रखना ज़रूरी!

दिमाग वो ताकत है जो बिना पंखों के उड़ सकता है, लेकिन अगर इसका ख्याल ना रखा जाए, तो यही ताकत कमजोर भी पड़ सकती है। 

सुबह की धूप से मिलने वाला विटामिन D, प्राणायाम, ध्यान, अच्छा खाना और भरपूर नींद – ये सब दिमाग के लिए जरूरी हैं। लेकिन आज की सबसे बड़ी जरूरत है –
स्क्रीन टाइम कम करना।

टेक्नोलॉजी ने जिंदगी को आसान तो बनाया है, लेकिन इसके ज़रूरत से ज्यादा इस्तेमाल ने रिश्तों, इमोशंस और समझदारी को नुकसान पहुंचाया है। और इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है।

इसे भी पढ़े

क्या आपके बच्चे में ये लक्षण हैं?

  • क्या बच्चा घंटों मोबाइल या टैब पर कार्टून देखता है?

  • क्या वो आसपास के लोगों से कम बात करता है?

  • क्या वो अकेले में खोया रहता है?

  • मोबाइल छीनने पर चिल्लाता या गुस्सा करता है?

अगर हां, तो ये वर्चुअल ऑटिज़्म के संकेत हो सकते हैं। ये कोई जन्म से होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि एक आदतन दिमागी गड़बड़ी है, जो ज्यादा स्क्रीन टाइम के कारण होती है।

इसे भी पढ़े

अलर्ट! डायबिटीज के 80% मरीजों में दिख रही ये खतरनाक दिक्कत, समय रहते नहीं सुधरे तो बढ़ सकती है परेशानी

क्या होता है वर्चुअल ऑटिज़्म?

वर्चुअल ऑटिज़्म मतलब बच्चों में ऐसा व्यवहार जो ऑटिज़्म जैसा लगता है लेकिन असल में स्क्रीन्स की लत की वजह से होता है।


बच्चे देर से बोलना सीखते हैं, आंखों में आंख डालकर बात नहीं करते, नाम पुकारने पर ध्यान नहीं देते, और दूसरों से दूरी बना लेते हैं।

 पेरेंट्स को लगता है बच्चा ऑटिस्टिक है, लेकिन सच्चाई होती है – मोबाइल और टीवी की लत।


स्क्रीन का दिमाग पर हमला – क्यों होता है ऐसा?

मोबाइल और टीवी की तेज रोशनी, रंग-बिरंगे ग्राफिक्स, और तेज़ आवाज़ें बच्चों के दिमाग पर असर डालती हैं। ब्रेन का नेचुरल डेवलपमेंट रुक जाता है।


इसलिए अब वक्त है डिजिटल डिटॉक्स का! और इसके लिए बाबा रामदेव बता रहे हैं कुछ आसान लेकिन असरदार तरीके।


स्वामी रामदेव की सलाह – ऐसे करें बचाव

  • रोजाना योग और प्राणायाम करें: इससे दिमाग शांत और शरीर एक्टिव रहता है।

  • परिवार के साथ समय बिताएं: बच्चों से बात करें, उन्हें एक्टिविटीज में शामिल करें।

  • मोबाइल से दूरी बनाएं: खासकर सुबह उठते ही और रात को सोते वक्त।

  • बच्चों को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें: उन्हें पार्क ले जाएं, दौड़ें, कूदें – असली जिंदगी से जोड़े रखें।

  • सोशल मीडिया से ब्रेक लें: खुद का भी स्क्रीन टाइम कम करें, तभी बच्चों को अच्छी आदत सिखा सकेंगे।


स्क्रीन की लत से ये परेशानियां भी!

  • नींद की समस्या: 60% मोबाइल यूज़र्स को नींद की बीमारी हो जाती है।

  • आंखों की रोशनी पर असर: ब्लू लाइट रेटिना को डैमेज करती है। नजर कमजोर, सूखी आंखें, जलन, और सिरदर्द जैसी दिक्कतें आम हो जाती हैं।

  • मेंटल हेल्थ पर असर: ज्यादा स्क्रीन टाइम से डिप्रेशन, अकेलापन, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, और हकीकत से दूरी होने लगती है।

  • शारीरिक दिक्कतें: मोटापा, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और नर्व सिस्टम की दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं।


अब क्या करें?

अब वक्त आ गया है कि हम बच्चों को स्क्रीन से बाहर निकालें और असली दुनिया से जोड़ें।


बाबा रामदेव की सलाह मानें – योग करें, बच्चों से बात करें, समय साथ बिताएं, और डिजिटल लाइफ को बैलेंस करें।
याद रखिए – बचपन दोबारा नहीं आता, इसे स्क्रीन में मत खोने दीजिए!

अस्वीकरण:
healthsahayata.in पर दी गई सभी जानकारी केवल सामान्य स्वास्थ्य जागरूकता और शिक्षा के उद्देश्य से है। यह किसी भी तरह से चिकित्सकीय परामर्श या उपचार का विकल्प नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए अपने डॉक्टर या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें। वेबसाइट और लेखक किसी भी नुकसान या दुष्प्रभाव के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.